आपको इंग्लिश बोलना आता है कि नहीं, आप गरीब हैं या अमीर यह आपके राह में रोड़ा नहीं बन सकती। कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो कोई रोक नहीं सकता। ऐसा ही हुआ हरियाणा की प्रीती हुड्डा के साथ। बस ड्राईवर की बेटी होने के बावजूद उसके सपनों ने ऐसी उड़ान भरी कि वह आईएएस प्रीती हुड्डा बन गई। वह अपनी कड़ी मेहनत के बल पर यूपीएससी की परीक्षा में सफल हुई और अपने परिवार को गौरान्वित किया।
प्रीती का जन्म बहादुरगढ़, हरियाणा में हुआ और वह वहीं पर बड़ी हुई। उसके पिता डीटीसी बस ड्राइवर थे। वह बचपन से ही एक होशियार छात्रा थी। प्रीती जिस परिवार से आती है वहां लड़कियों का विवाह कम उम्र में ही हो जाता है। प्रीती अपने परिवार में पहली महिला है जो पढ़ाई के लिए इतनी ज्यादा उम्र तक कुंवारी रही है। उसके पिता का भी सपना था कि बेटी आईएएस बनें। यूपीएससी की परीक्षा में पहली बार प्रीती को असफलता का मुंह देखना पड़ा परंतु इससे वह हतोत्साहित नहीं हुई। वह यूपीएससी सीएसई 2017 में एआईआर 288 अंक लेकर आईएएस आफीसर बनी। उसके पिता एक बस ड्राईवर थे लेकिन उन्होंने अपनी आर्थिक अवस्था को अपने बच्चों के भविष्य में रूकावट बनने नहीं दी। प्रीती की कम उम्र में शादी करके घर बसाने की जगह पढ़ – लिख कर आईएएस बनने के सपने का समर्थन किया।
प्रीती को दसवीं की परीक्षा में 77ः और बारहवीं में 87ः अंक मिले। उसके बाद उसने दिल्ली के लक्ष्मी बाई काॅलेज में स्नातक के लिए एडमिशन लिया और ग्रेजुएशन में उसने 76ः अंक हासिल किये। इसके बाद वह यूपीएससी सीएसई, मीडियम के लिए उपस्थित हुई।
उसने यूपीएससी सीएसई 2017 में हिन्दी को ऑपशनल विषय के रूप में चुना। प्रीती ने जेएनयू दिल्ली में एमफिल में एडमिशन लिया और सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी प्रारंभ कर दी। अगर कोई अपनी मंजिल पहले ही तय कर ले और आगे बढ़ती जाए तो किसी में इतनी हिम्मत नहीं की उसे पीछे खींच लाए लेकिन इरादा पक्का होना बहुत जरूरी है, कामयाबी आपके कदम चूमेगी।