इंसान अगर बचपन में कुछ ठान ले और उसमें दृढ़ता हो तो वह पूरा होता ही है। कोई अपना करियर पहले ही तय कर ले तो उसे कोई नहीं डिगा सकता। ऐसा ही कुछ हुआ चंडीगढ़ की तैराक चाहत अरोड़ा के साथ।

चाहत अरोड़ा ने इस साल थाईलैंड एज ग्रुप चैंपियनशिप में भाग लिया और महिलाओं की 50 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने इससे पहले राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में दो स्वर्ण पदक जीते। इस बार थाईलैंड में अपने पुराने समय 33.62 सेकेण्ड की बराबरी की। 24 वर्षीया चाहत ने पिछले साल उजबेकिस्तान में ओपन स्वीमिंग चैंपियनशिपस् में दो स्वर्ण पदक जीते थे।
चाहत अरोड़ा के अनुसार उनका परिचय स्विमिंग से 3 वर्ष की उम्र में हुआ। उनके भाई स्विमिंग किया करते थे और चाहत 3 वर्ष की उम्र में ही भाई के साथ जाती थीं और उन्हें तैरता हुआ देखती थीं। छोटी उम्र के बावजूद उसने बहुत जल्दी, दूसरे बच्चों से कम समय में तैरना सीख लिया।
उनके अनुसार आज उनकी जिंदगी जैसी है तैराकी के बिना नहीं हो सकती थी। तैराकी की वजह से वह अनेक सुंदर स्थानों पर गईं, अनेक लोगों से मिलीं। तैराकी ने उनकी जिंदगी बदलकर नई चाहत अरोड़ा को जन्म दिया।
चाहत चंडीगढ़ जैसी जगह से हैं उनके अनुसार उन्हें इस वजह से कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा। उनके अनुसार उन्हें सुविधाओं का अभाव झेलना पड़ा। अच्छे प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं थी, तैराकी के लिए अच्छे उपकरण और अच्छे प्रशिक्षक नहीं थे। यहां स्विमिंग पूलों की संख्या भी उतनी अधिक नहीं है इसलिए हम छह महीने तैरते थे और छह महीने ट्रैक पर नहीं होते थे। फिर भी इन सारी समस्याओं से जूझते हुए चाहत ने अपनी मंजिल पाई।
उनके मम्मी, पापा और भाई ने हमेशा उनका साथ दिया उनके अनुसार हारने पर भी कुछ नहीं कहते, बस मेरे सपने को पूरा करने के लिए हमेशा मेरे साथ खड़े रहते है। मेरा परिवार मेरी सबसे बड़ी शक्ति है।
चाहत का सपना था स्वर्ण पदक विजेता बनना और उसका सपना पूरा हुआ। जोश की कमी न हो तो सपना पूरा होता ही है विशेष रूप से जहां परिवार का साथ हो।