यदि आप सदैव स्वयं को थका हुआ और शिथिल सा अनुभव करती हैं या आपको अपना रंग दबा हुआ लगता है, तो इन समस्याओं का एक अत्यंत सरल समाधान हो सकता है, वह है मसाज या मालिश।
दरअसल मसाज एक विशेष प्रकार से की गई मालिश को कहते हैं। अपनी त्वचा और मांसपेशियों को बेहतर बनाने के लिए एक विशेष प्रकार की मालिश की जाती है, जिसे “लिम्फैटिक ड्रेनेज“ कहा जाता है। इस “लिम्फैटिक ड्रेनेज“ से न केवल त्वचा वरन् संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है। जाहिर है, स्वास्थ्य ठीक होता है, तो मन भी स्वस्थ अनुभव करता है।
इस विशिष्ट मसाज में शरीर की स्नायु प्रक्रिया को और बढ़ाया जाता है। स्नायु प्रक्रिया द्वारा हमारे शरीर को संक्रमण से बचाया जाता है। कोशिकाओं से निष्प्रयोजक पदार्थों को बाहर निकाला जाता है। इस अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रक्रिया में शरीर के विषैले पदार्थ, अधिक जल की मात्रा, चर्बी, अवांछनीय प्रोटीन और अन्य पदार्थ पाचन प्रणाली से रक्त की मुख्य धारा में जाकर शरीर से बाहर कर दिए जाते हैं। स्नायु प्रक्रिया हृदय पर नहीं, वरन् मांसपेशियों की गतिविधियों पर आधारित होती है, इसलिए इस प्रक्रिया के सही संचालन के लिए व्यायाम बेहद जरूरी है। खराब मांसपेशियों का परिणाम खराब लिम्फ प्रवाह ही होगा। इसके विपरीत, यदि आपकी स्नायु प्रक्रिया अच्छी तरह से कार्य कर रही है, तो आपको अधिक शक्ति ही नहीं वरन् साफ रंग भी मिलेगा और अधिक स्वस्थ महसूस करेंगी।

लिम्फैटिक ड्रेनेज का अर्थ यह नहीं (जैसा की नाम से विदित है) कि आपके शरीर से स्नायु द्रव पदार्थ को निकाला जा रहा है, बल्कि हल्की मालिश के द्वारा आपकी स्नायु प्रक्रिया को और तीव्र किया जाता है – चाहे मालिश हाथों से की जाए या मशीन से। तमाम ब्यूटी पार्लर में यह मसाज की जाती है। लिम्फैटिक ड्रेनेज कराते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। लिम्फैटिक ड्रेनेज करने से करीब 45 मिनट या एक घंटे तक साधारण मालिश की जाए जिससे आपका रक्त प्रवाह बढ़ जाए और मसाज का अनुकूल असर हो। मसाज के दौरान आपका चेहरा ऊपर उठाकर लिटा दिया जाता है और दोनों पैरों के नीचे तकिये लगाकर उनको ऊंचा किया जाता है। यह मसाज पंजों से आरंभ होता है। धीरे धीरे मांसपेशियों को आरामदेह रूप से दबाया जाता है। सभी मांसपेशियों को ऊपर हृदय की तरफ करके दबाया जाता है।

अगले दिन संभव है आपको टायलेट अधिक बार जाना पड़े क्योंकि यह मसाज का ही असर है जिसके कारण शरीर से अवांछनीय पदार्थों का निष्कासन होता है।
विशेषज्ञों द्वारा यह माना जाता है कि यदि नियमित रूप से लिम्फैटिक ड्रेनज किया जाए तो –
॰ शरीर को कोशमय होने से रोका या बचाया जा सकता है।
॰ त्वचा को निखारा जा सकता है।
॰ स्वास्थ्य बेहतर बनाया जा सकता है।
॰ नाभि के नीचे के भाग में मांपेशियों को बेहतर किया जा सकता है, जिससे पेट के मोटेपन का अहसास कम हो।
॰ किसी अंग में रक्त के अधिक संचय को रोका जा सकता है।
॰ शरीर में द्रव पदार्थ के संचय को कम किया जा सकता है।
॰ व्यायाम और खाने के परहेज से मोटापा घटाया जा सकता है।

आप घर बैठे क्या कर सकती हैं
पहला कदम है कि नियमित व्यायाम और संतुलित आहार लें। तंतु या रेशेयुक्त खाने की मात्रा बढ़ाएं और रक्त प्रवाह बढ़ाने के लिए तथा विषैले पदार्थों से मुक्ति पाने के लिए दिन में कम से कम 2 लीटर पानी अवश्य पीयें। मसाज भी बहुत जरूरी है। जमीन पर लेट जाइये। दीवार पर टिकाकर पैरों को ऊंचा कीजिए और हृदय की तरफ झुक कर मालिश कीजिए।
महत्वपूर्ण चेतावनी
इन अवस्थाओं में लिम्फैटिक ड्रेनेज न करें:
॰ यदि आपकी त्वचा संक्रमित या ज्वलनशील हो।
॰ आपकी ग्रंथियों में सूजन हो या आपको किसी प्रकार का वायरस संक्रमण हो।
॰ आपको कैंसर हो।
॰ आपको एड्स हो।
॰ आपको मधुमेह हो या मिरगी रोगी हों।
॰ आप गर्भवती हों।
॰ आपको उच्च रक्तचाप हो।
इन दशाओं में आपकी स्नायु प्रक्रिया ढीली है
॰ हमेशा थकान और शिथिलता का अहसास।
॰ त्वचा का रंग दबना, मुंहासे या अन्य त्वचा संबंधी समस्या।
॰ अकारण ही वजन का बढ़ना।
॰ पेट के निचले हिस्से में खराब मांसपेशियों का होना।
॰ स्तनों में ढ़ीलापन।
॰ गला, नाक, कान में संक्रमण।
॰ बड़ी आंत की सूजन।
॰ जोड़ों का दर्द या आलस्य आना।
मनोरमा डेस्क ।