उफ यह सर्दी, तौबा तौबा

के॰ पी॰ सक्सेना । अब इसमें हमारा क्या कसूर मैडम जी, कि हमें सर्दी बहुत लगती है। यह तो सर्दी लगने की उम्र है। मगर जब भरी जवानी  में  पसीना छोड़ने के दिन थे, तब…

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मैं मजबूर थी

घटना 1980 के दशक की है। रश्मि अग्रवाल पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में गृह विज्ञान विभाग में खाद्य तथा पोषण विषय में एमएससी अंतिम वर्ष की छात्रा थी। वह कस्तूरबा छात्रावास के कमरा नम्बर 47 में…

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प्यार आता है दबे पांव

बालकनी की कुर्सी पर निढ़ाल बैठी सुषमा का मन उदासी से भर गया। अभी – अभी पढ़कर पूरे किए गए उपन्यास को एक किनारे रखकर वह एकटक बाहर बगीचे की ओर ताकने लगी। किशोर प्रेम…

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यह कैसा झूट ?

झूठ अपने द्वारा खरीदी प्रत्येक वस्तु का मूल्य, उसके वास्तविक मूल्य से बढ़ा – चढ़ा कर बताना, मृदुला का स्वभाव बन गया था। दो सौ रूपए की साड़ी चार सौ रूपए की, पांच सौ रूपए…

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लघु कथा : आज तक ऐसा कोई नहीं मिला जो, इतनी इज़्ज़त दे हम जैसे लोगो को

कल मैं रिक्शे से घर आई…मैंने रिक्शे वाले से पूछा- भैय्या आपके बच्चे हैं, अगर बुरा न मानें तो, कुछ छोटे कपड़े मैं उनके लिए दे दूँ,आप पहनाओगे क्या..??उसने कहा – जी मैम साहब…मैंने कहा…

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पहला प्यार के नशे में आज भी जी रही हूँ

चार वर्ष पूर्व मैं बीए प्रथम वर्ष की छात्रा थी। उस दिन मैं सावन की पहली फुहार का आनंद ले रही थी। चूंकि बारिश में भीगना मुझे पसंद है, इसलिए मैं बगैर इस ओर ध्यान…

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लघु कथा : प्रेम का मरहम

शादी के 3 महीने बाद ही जिया को पता चला कि उसके पति मिहिर का किसी दूसरी जाति की लड़की रूपाली के साथ शादी से पहले ही अफेयर चल रहा था और उसने जिया से…

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आए दिन कितने लोग बेमौत मर रहे हैं !

ओह , “आए दिन कितने लोग बेमौत मर रहे हैं।“ मैने अखबार एक तरफ पटकते हुए कहा। “कहां ?“ उन्होंने पूछा। नजरें अखबार पर गड़ी हुयी थीं। “ देखिए न, अकेले भेपाल गैस कांड में…

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लघुकथा : आंसू की जुबान

रमा की सास ने आज उसे पीटा और उसके मां बाप के नाम पर घंटों गालियां दीं। रमा का पति सुशील अपनी मां के विरूद्ध जाने का साहस नहीं रखता। सब्र का पैमाना भर चुका…

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कहानी : प्रियतम पर खुफियागिरी क्यों ?

उस  दिन  सुदेश कुछ देर  को  बाहर  चला  गया था और मैं  उसके कमरे में अकेली थी तो  अचानक मेरे पैर उसकी लिखने पढ़ने की मेज की ओर बढ़ गए थे। इसी मेज के बांये…

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