क्या आप गायिका बनना चाहती हैं ?

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जयति भटाचार्य ।

अगर आपका सपना गायक या गायिका बनने का है तो उसे साकार करने में हम आपकी थोड़ी बहुत सहायता कर सकते हैं। कहते हैं गीत संगीत का चोली दामन का साथ है। इसी तरह ही सुर और गायक भी साथ – साथ चलते हैं। अगर आप गायक बनना चाहते हैं तो सुर का ज्ञान बहुत जरूरी है, चाहे आपकी रूचि क्लासिकल संगीत में हो या लाइट म्यूजिक में।सात सुरों का जादू सीखने के लिए पहले तो आप को अच्छे गुरू की सीख लेनी चाहिए या किसी संगीत विद्यालय में जाकर स्वरों का ज्ञान लेना चाहिए। वैसे तो विद्या सीखने के लिए उम्र की बाधा नहीं होती, मगर गायक या गायिका बनने के लिए बचपन से ही सीखना ज्यादा अच्छा होता है। क्यांेकि जिस तरह कच्ची मिट्टी से कुम्हार को खिलौने गढ़ने में आसानी होती है, वह अपनी इच्छानुसार उसे रूप व आकार दे लेता है, ठीक उसी तरह अगर आप कम उम्र से ही गाना सीखें तो आप अपनी आवाज को जरूरत के अनुसार ढ़ाल सकती हैं। आवाज में सुर पर ठहराव, मुरकियां, उतार – चढ़ाव, लोच पैदा कर सकती हैं। आठ नौ साल की उम्र से जब आप रियाज करती हैं तो बीस पच्चीस साल की उम्र तक आपकी आवाज का सफर एक रेंज बना लेता है। साथ ही रियाज करने से तान लगाने या ऊंचे सुरों में गाने के लिए जिस तरह सांस पर काबू पाने की जरूरत है, उसे भी पा लेती हैं।आज संगीत की शिक्षा पाना कोई मुश्किल नहीं। सुबह स्कूल जाइए, शाम को ट्यूशन लगाकर गीत संगीत का रियाज कीजिए। इससे यह न समझिए कि आप इस विद्या को खरीद सकते हैं।

गीत संगीत की विद्या न खरीदी जा सकती है, न सिखाने से सीखी जा सकती है। इसे सीखा जा सकता है सिर्फ सच्ची लगन और कड़ी तपस्या से। पुराने कलाकारों का गाया गीत कान से आत्मा की गहराई तक उतर जाता है, क्योंकि गाते वक्त कलाकार की आत्मा, उसका दिल, उसका रोम रोम सुख सागर में डूब जाता है। मगर आज ऐसा बहुत कम नजर आता है।अगर आप सच्ची कलाकार बनना चाहती हैं, तो जरूरी है कि इन बातों का ख्याल रखें।

  • शौक.
  • सच्ची लगन.
  • अथक और कड़ी तपस्या.
  • सुरीलेपन को समझना.
  • तानपूरे के साथ रियाज करना, ताकि आपकी आवाज सुरीली हो.
  • आवाज में भाव लाना – यानि अगर आप कोई गीत गा रही हैं तो आपकी आवाज में एक्सप्रेशन और फीलिंग्स तभी ला सकेंगी, जब आप उस गीत में छिपी भावना को समझ कर गाएंगी.
  • शब्दों का सही उच्चारण करना.
  • अपनी गाई हुई चीज को रेकार्ड करके, बार बार उसे सुनकर उसकी कमियों पर विचार करके, उसे और बेहतर बनाने की कोशिश करना.
  • हिम्मत और हौसले के साथ मैदान में जमे रहने का अटूट फैसला, शुरू – शुरू में सराहना मिले चाहे न मिले.
  • जब जहां अवसर मिले बगैर शरमाए, बगैर झिझके हुए गाना।   

                                                         नजमा मर्चेंट


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