एक सृजनात्मक क्षेत्र आर्किटेक्चर

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12वीं के बाद हर छात्र्र छात्रा के सामने एक सवाल होता हैै, अब आगे क्या करें। पहले 12वीं के बाद एक ही विकल्प था स्नातक । परंतु आजकल 12वीं के बाद अनेक करियर बेस्ड कोर्स हैं। छात्राएं भी जल्द से जल्द करियर की राह पकड़ना चाहतेी हैैं। आप करियर उसी क्षेत्र्र मेेंबनाएं जिसमें आपकी रूचि हो तभी आप सफल होंगे। यदि आपकी रूचि सृजनात्मक क्षेत्र में हैै तो आर्किटेक्चर आपके लिए एक बेहतर विकल्प हैै।

आर्किटेक्चर के क्षेत्र में भारत में अपार संभावनाएं हैं। यह एक ऐसा प्र्रोेफेशन हैै जो हमेेशा ही बदलता औैर विकसित होेता रहता हैै। इस क्षेत्र्र के अंतर्गत आप मकानों एवं व्यवसायिक भवनों की डिजाइनिंग और निर्माण करवा सकते हैैं, विभिन्न कार्यक्रमों के साइट की डिजाइनिंग, अनोखे लाइटिंग सिस्टम की रचना कर सकते हैं, लैंडस्केप की डिजाइनिंग इत्यादि बहुत कुछ कर सकते हैं। आर्किटेेक्ट बनने के लिए योग्यता डिप्लोेमा कोर्सेस के लिए:

इंजीनियरिंग डिप्लोेमा के लिए छात्र 10वीं की परीक्षा के बाद आवेदन कर सकतेे हैं।

डिप्लोमा कोर्सेस के लिए 12वीं न्यूनतम आवश्यकता है।

बी एआरसीएच:

  • छात्रों के लिए आवश्यक है कि 12वीं में अनिवार्य विषय के रूप में गणित और अंग्रेजी हो तथा बोर्ड की परीक्षा में अंकों का कुलयोग 50ः होे।
  • जिन छात्रों ने 10वीं के बाद तीन वर्षीय डिप्लोमा किया है वह भी इस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं।
  • अनेक कॉलेजों में इस कोर्स की योग्यता के लिए आर्किटेक्चर एंट्रेंस एग्जाम जैसे जेईई मेन, जेईई एडवांस एवं एनएटीए पूरा करना आवश्यक होता हैै।

पीजी एवं शोेध संबंधी डिग्री:

इन कोर्सों के लिए छात्रों का आर्किटेक्चर में स्नातक होना आवश्यक है। छात्रों के लिए पीजी एंट्रेंस एग्जाम जैसे गेट एवं सीईईटी पूरा करना आवश्यक है। आर्किटेक्टचर में जॉब के प्रकार कंस्ट्रक्शन मैैनेजर निर्माण परियोजना की योजना बनाने, विकसित करने और सामंजस्य स्थापित करनेे की जिम्मेदारी कंस्ट्रक्शन मैनेजर की होती है।

आर्किटेक्चरल इंजीनियर

बिल्डिंग कोड, संरचनात्मक प्रणाली, विद्युत, वायु संचालन, इंजीनियरिंग फॉर्म के जरिये ये किसी बिल्डिंग के डिजाइन के नक्शे की योेजना बनाते हैैैं।

आर्किटेक्चरल मैनेजर

येे इंजीनियरिंग एवं आर्किटेक्चरल कंपनियों में योजना बनाते हैैं, निर्देष देते हैं और गतिविधियों को समन्वित करते हैं।

सिविल इंजीनियर

ये पब्लिक औैर प्राइवेेट सेक्टर में सड़कें, हवाई अड्डा, भवन, सुरंग, पुुल, बांध इत्यादि के लिए डिजाइन बनाते हैैं, विचार, निर्माण, संचालित, निरीक्षण, देखरेेख करते हैं।

कंस्ट्रक्शन एवं बिल्डिंग इंस्पेक्टर

ये सुनिश्चित करते हैं कि निर्माण स्थानीय एवं राष्ट्रीय बिल्डिंग कोड, अध्यादेश, क्षेत्रीकरण के नियम, संविदा के विवरण को पूरा करेे।

इंडस्ट्रियल डिजाइनर

नयेे उत्पाद की अवधारणा का विकास करते समय ये उसके कार्य, कलात्मकता, उत्पादन की लागत औैर उत्पाद की उपयोगिता पर विचार करते हैं।

लैंडस्केप आर्किटेेक्ट

ये व्यवसायिक भवन, कैंपस, मनोरंजन की सुविधाएं नीजी मकान की खुली जगह एवं अन्य खुली जगह तथा पार्कों का डिजाइन बनाते हैं।

इंटीरियर डिजाइनर

ये सामग्री की आवश्यकता और लागत का आंकलन करके क्लाइंट के समक्ष डिजाइन पेश करते हैं। ये साज सज्जा केे सामान खरीदते हैं, कलात्मक कृति और सहायक सामग्र्री का चयन या डिजाइन करते हैं। ये आंतरिक भागों को जगह की आवश्यकता का निर्धारण करके तथा सजावटी वस्तुओं जैसे रंग, विद्युत औैर अन्य सामग्री का चयन करके उसे कार्यात्मक एवं सुन्दर बनाते हैं।

अब आप आर्किटेक्ट का कार्य जान गए हैं। इस क्षेत्र मेें जितना अधिक अनुभव होगा उतनी ही सैैलरी बढ़ती जाएगी। अगर आप रचनात्मक क्षेत्र मेें करियर बनाना चाहते हैं तो यह क्षेत्र आपके लिए ही हैै।


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