मेहंदी का प्रचलन कब हुआ, ठीक – ठीक बता पाना कठिन है। पर भारत में मेहंदी का प्रचलन बहुत पुराना है। कुछ लोगों का अनुमान है, कि मुस्लिम शासकों के द्वारा इसका प्रचलन आरंभ हुआ। यह अनुमान संभवतः इसलिए लगाया जाता है, क्योंकि मुस्लिम महिलाएं हाथ – पैरों में मेहंदी लगाने के अलावा अपने बाल भी मेहंदी से रंगते हैं। महिलाएं ही नहीं पुरूषों में भी मेहंदी से बाल रंगने का प्रचलन है।
मेहंदी प्रमुखतः हाथ और पैरों की सज्जा का एक महत्वपूर्ण साधन है। यों तो पैरों में महावर भी लगाया जाता है, किन्तु जो बात मेहंदी के रंग में उभरती है वह महावर में कहां है ? वैसे भी मेहंदी की सज्जा में अगर सावधानी बरती जाए तो इसकी रंगत दो हफ्ते बखूबी कायम रह सकती है।
आज नगरों की फैशनपरस्त युवतियां शादी – विवाह जैसे अवसरों पर मेहंदी लगाने में विशेष रूचि लेती हैं। पहले मेहंदी घरों में महिलाएं एक – दूसरे को लगाती थीं। गांवों में और कस्बों में आज भी यह प्रचलन है, किंतु शहरों और महानगरों में मेहंदी रचाना एक व्यवसाय बन गया है। बात दिल्ली की है। यहां कनाट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर जहां अपनी धर्मिक महत्ता के लिए नगर भर में प्रसिद्ध है वहां मेहंदी रचवाने के लिए भी यह स्थान कम प्रसिद्ध नहीं है। यहां दर्जन भर ऐसी दुकानें हैं, जहां महिलाएं मेहंदी रचाने का काम करती हंै। मंगलवार के दिन जब हनुमान मंदिर पर मेला – सा लगता है, तो मेहंदी रचानेवालियों के यहां भी ग्राहकों का तांता लगा होता है।
वस्तुतः मेहंदी का रंग भी सुहाग के साथ जुड़ा है। इसकी लालिमा दुल्हन के सौंदर्य में एक नई आभा पैदा करती है। मेहंदी रचे गोरे – गोरे हाथों का स्पर्श कर भला कौन सुखद कल्पना में न खो जाएगा !
अविवाहित लड़कियां भी बड़े शौक से मेहंदी रचाती हैं। हमारे देश में राजस्थान मेहंदी रचाने की कला में सबसे आगे है। राजस्थान की मेहंदी ही सबसे अच्छी मेहंदी मानी जाती है। फिर भी देश के सभी राज्यों में मेहंदी का सौंदर्य प्रसाधन के रूप में प्रचलन है। मेहंदी स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी मानी गयी है। पैरों के तलवे में मेहंदी लगाने से ठंडक पहुंचती है। बालों में मेहंदी लगाने से जहां एक ओर बाल रेशमी और चमकदार होकर लहरा उठते हैं, वहीं वह दिमागी शीतलता के लिए और बालों की सुरक्षा के लिए एक खास नुस्खा है।
हाथों के लिए मेहंदी में नीलगिरी का तेल मिलाया जाता है और बालों के लिए नींबू, काॅफी तथा अंडे की जर्दी मिलायी जाती है। हाथों में मेहंदी रचाने के बाद जब वह सूखने लगे, तो उस पर नींबू और चीनी का घोल रूई की सहायता से लगाना चाहिए। लगभग चार – पांच घंटे बाद उस पर सरसों का तेल लगाकर छुरी की सहायता से मेहंदी को हाथों से उतार लेना चाहिए और फिर मेहंदी के रंग को गाढ़ा करने के लिए छह घंटे तक पानी नहीं लगाना चाहिए।
बालों में मेहंदी लगाने के लिए पहले बालों को अच्छी तरह साफ कर फिर ब्रश की सहायता से बालों की जड़ों में मेहंदी लगानी चाहिए। अगर आप किसी और सें लगवाएंगी तो ज्यादा अच्छी तरह बालों में फैलेगी। घंटे भर बाद खुले पानी में बालों को धो लेना चाहिए। बालों को ज्यादा काला करने के लिए चाय के पानी में आंवले उबालकर उस पानी में मेहंदी का घोल बनाएं।
मेहंदी की कला सदियों से अनेक रूप परिवर्तन के साथ हाथ – पैरों को अपनी कलात्मक चित्रावली से रूपसियों को सौंदर्य प्रदान करती आ रही है और करती रहेगी। बाजार में आने वाले नए – नए सौंदर्य प्रसाधनों की चाहे जितनी भीड़ लग जाए किंतु मेहंदी के रंग की मादकता और महक को भूलना असंभव है। यह प्रकृति का एक अनूठा उपहार है – सौंदर्य के लिए और स्वास्थ्य के लिए भी।